ये मेरी चाल दुनियाँ में शराफत बो के जाती है
मुहब्बत की हरेक दरिया, हमीं से हो के जाती हैं!!
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ये मेरी चाल दुनियाँ में शराफत बो के जाती है
मुहब्बत की हरेक दरिया, हमीं से हो के जाती हैं!!
मुहब्बत इक पहेली है, समझने को मैं मरता हूँ!
कोई सिखला गया था कल, किसी से आज करता हूँ!!
कहीं ठुकरा दिया किसी ने, किसी को भा गये कहीं पर,
तजुर्बा है कहीं का और, कहीं रियाज़ करता हूँ!!
आप MBA विद्यार्थियों की हिंदी कविता प्रस्तुति बेहतरीन थी। मैं निर्णायक की भूमिका अदा कर धन्य हो गया🙂
रंग हमने भी कम ना लिखे इश्क़ में,
पर जो कोरे रहे, वो दिखे इश्क़ में !
एक लम्हा सदी को उड़ा ले गया,
हम हुनर बस ग़ज़ल का सीखे इश्क़ में !…✍🏻
मुस्कुराकर ज़ुल्फ़ को गालों पे यूँ बिखरा दिया,
हम ज़रा शौकीन थे और आपने बहका दिया !
महज़ मुंबई या कलकत्ते के सपने ना बुनो, लड़की !
तेरे आशिक़ में हम भी हैं, हमें भी तो चुनो, लड़की !!
इक शाम …. मुहब्बत के नाम
मिजोरम और नागालैंड जैसे हाशिये पर हम,
हैं जिंदा आस में, नींदें चुरा लेंगे सुनो दिल्ली !…✍🏻
महज़ मुंबई या कलकत्ते के सपने ना बुनो, दिल्ली!
तेरे आशिक़ में हम भी हैं, हमें भी तो चुनो, दिल्ली!…✍🏻
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मोहब्बत इक पहेली है, समझने को में मरता हूँ!
कोई सिखला गया था कल, किसी से आज करता हूँ!!….(आज़ाद)
invitation for poetic performance in Cabinet secretariat (Rajbhasha) Patna
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा कवि सम्मेलन