NIT Trichy, Literary fest UMANG-21, 17th Sept

कहीं दक्कन पठारों से भी कुछ बलखा के आती हैं !
अरावली की पहाड़ी से भी कुछ टकरा के आती हैं !
कोई कह दे पहाड़ों से, समंदर मैं हूँ अपराजेय,
हमें पाने को सब नदियाँ उसे ठुकरा के आती हैं ! (✍🏻Aazad)

Lucknow University Cultural fest 2021, 11th July

किसी की आँख का मजनूँ, कहीं ख्वाबों की लैला हूँ !
इलाहाबाद कहता है, मैं इक संगम का मेला हूँ !
यहाँ पर ज़िन्दगी अपनी तो बस ‘अंडमान’ जैसी है,
समूचा हिन्द मेरा है, मगर फिर भी अकेला हूँ !…✍🏻Aazad

IIT Goa, Cultural fest 2021

Opening Ceremony with My Romantic poetic performance full of entertainment 😊

हम हैं वो सेब जो न्यूटन के कदमों में बरसता है !
जो ख्याति पा के भी, होठों को पाने को तरसता है