कहीं दक्कन पठारों से भी कुछ बलखा के आती हैं !
अरावली की पहाड़ी से भी कुछ टकरा के आती हैं !
कोई कह दे पहाड़ों से, समंदर मैं हूँ अपराजेय,
हमें पाने को सब नदियाँ उसे ठुकरा के आती हैं ! (✍🏻Aazad)
![](https://poetaazad.com/wp-content/uploads/2021/09/fb_img_1632063932773.jpg?w=960)
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कहीं दक्कन पठारों से भी कुछ बलखा के आती हैं !
अरावली की पहाड़ी से भी कुछ टकरा के आती हैं !
कोई कह दे पहाड़ों से, समंदर मैं हूँ अपराजेय,
हमें पाने को सब नदियाँ उसे ठुकरा के आती हैं ! (✍🏻Aazad)